Kailash Manasarovar Yatra By Helicopter from Kathmandu Hindi

जो लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा पैदल नहीं कर सकते, उनके लिए अब वहाँ पहुँचने का एक तेज़ तरीका है। तीर्थयात्री काठमांडू से सिमिकोट के लिए उड़ान भर सकते हैं और वहां से एक हेलीकॉप्टर उन्हें नेपाल-चीन सीमा तक ले जाएगा। इससे वहां पहुंचने में लगने वाले समय और थकान की बचत होगी। वहां से कुछ दूरी पर स्थित मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत को आप देख सकेंगे।

पहला दिन- काठमांडू एयरपोर्ट आगमन
यात्रा के पहले दिन आप हमसे काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट पर मिलेंगे । यंहा हमारा एक कर्मचारी आपको एयरपोर्ट से होटल लेकर आएगा और यात्रा से जुड़ी हुई सारी जानकारी आपको वही पर समझायी जाएंगी। आज रात का विश्राम काठमांडू में ही होगा।

2nd दिन – काठमांडू दर्शन और Nepalgunj के लिए उड़ान
आज हम सुबह के नाश्ते के बाद आपको काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर और Jal Narayan Temple के दर्शन कराएँगे । उसके बाद हमारा एक कर्मचारी आपको काठमांडू एयरपोर्ट से Nepalgunj के लिए फ्लाइट में लेकर जायेगा। वंहा से हमारा एक कर्मचारी आपको पहले से booked एक होटल में लेकर जायेगा। आज रात हम सब यही पर विश्राम करेंगे और आपको आगे की यात्रा के बारे में जानकारी दी जाएगी।

दिन 3 : Nepalgunj To Simikot
आज हम Nepalgunj To सिमिकोट जायेंगे। Nepalgunj To सिमिकोट की यात्रा का हिस्सा कॉम्प्लिकेटेड होगा क्योकि आपकी फ्लाइट वंहा के मौसम के उप्पेर निर्भर करेगी। आज सुंबह नाश्ता करके हम जल्दी Nepalgunj एयरपोर्ट पहुंच जायेंगे और available फ्लाइट से सिमिकोट के लिए रवाना हो जायेंगे। वंहा से हमारा एक कर्मचारी आपको pre booked गेस्ट हाउस ले जायेगा। बाकि का पूरा दिन हम सिमिकोट में ही रहेंगे और अपने आपको सिमिकोट के एनवायरनमेंट के हिसाब से अनुकूल करंगे।

दिन 4 : Simikot To Hilsa By Helicopter – To तकलाकोट (By Bus)
सुबह ब्रेकफास्ट करने के बाद हम सिमिकोट airpot से hilsa के लिए उड़ान भरेंगे। Hilsa से हम swinging bridge के उप्पर पैदल चलकर नदी को पार करेंगे। वंहा से हमारा एक कर्मचारी Nepal immigration में आपकी डॉक्यूमेंटेशन फॉर्मलिटीज पूरी कराएगा। फिर हम बस से बॉर्डर पार करके China immigration office पहुंचेंगे। वंहा पर डॉक्यूमेंट फॉर्मलिटीज पूरी करके हम Taklakot के लिए निकल जायेंगे।

दिन 5: टकलाकोट
आज हम Taklakot में अपने होटल में ही रुकेंगे और अपने आपको एनवायरनमेंट के हिसाब से अनुकूल बनाएंगे।

दिन 6: टकलाकोट से मानसरोवर झील (4550 mts. (90 kms / 1 ½ hrs)

अब हम यात्रा के चौथे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद बस के द्वारा टकलाकोट से मानसरोवर झील की तरफ चलेंगे जिसकी दूरी लगभग 90 किलोमीटर है. यह यात्रा बस के द्वारा की जाएगी। समय लगभग (1.5 hrs ) के आसपास लगता है. टकलाकोट से निकलने के कुछ देर बाद ही हमें कैलाश के दर्शन होने लगते हैं. अब हम मानसरोवर झील पहुँच चुके हैं और हमें यहाँ पर परिक्रमा करनी है. लगभग 105 किलोमीटर की परिक्रमा हमें बस के द्वारा करनी है. मानसरोवर झील में स्नान करने के बाद अब हम वही पास में ही मौजूद एक गेस्ट हाउस में रुकेंगे और रात का भोजन आज इसी जगह पर करना है. हालाँकि अगर आप चाहे तो रात्रि के समय मानसरोवर झील का दर्शन करने फिर से जा सकते हैं क्योंकि इस वक्त यहाँ पर काफी खूबसूरत नजारा होता है. इसके लिए आपको कोई साधन लेने की जरूरत नहीं है बल्कि आप पैदल ही जा सकते हैं.

दिन 7 – 1st Day Kailash Parikrama – Trek to Dirapuk (4880 mts ) 12 kms trek (5-6 hrs)

यात्रा के पांचवें दिन हम मानसरोवर झील से बस के द्वारा यमद्वार पहुँचते हैं। जिस यात्री को परिकर्मा में नहीं जाना है वो इस जगह से वापिस आ जाते हैं और वापिस आकर दारचेन के होटल में चले जाते हैं। अब जिन्हें यात्रा के लिए (Dirapuk 4860 m) जाना है। यह 12 KM का ट्रेक Mt. Kailash के North face की तरफ है और इसे पूरा करने में आपको 5 से 6 घंटे लग जाते है। जो यात्री यंहा पैदल नहीं चल सकते, उनके लिए घोडा उपलब्ध है। एक घोड़े का चार्ज यहाँ पर लगभग 25 से 30 हजार होता है जो आपको पूरी कैलाश की परिक्रमा करवा देगा। लेकिन अगर आपने यहाँ घोडा नहीं लिया तो आपको कहीं भी घोडा नहीं मिलेगा। अब हम पहले दिन की परिक्रमा करके डेराफुक पहुँचते हैं और आज की यात्रा यही खत्म होती है। अब आपको आज डेराफुक के विश्राम गृह में रुकना है। यहाँ पर बेहद सामान्य स्तर का विश्राम गृह है।

दिन 8 और कैलाश परिक्रमा का दूसरा दिन – to Zuthulpuk (4670 mts.) with Trek to Dolma La Pass

यात्रा के छठे और परिक्रमा के दूसरे दिन की शुरुआत हम डेराफुक से करते हैं. इस दिन की यात्रा बड़ी खतरनाक होती है क्योंकि चढ़ाई होती है. इस दिन हम लगभग 22 किलोमीटर की यात्रा करते है और इसमें 6 किलोमीटर की यात्रा में बहुत मुश्किलें हैं क्योंकि इसमें चढ़ाई है इसलिए आपको काफी सावधानी रखने की जरूरत होती है. इस दिन हम पहुँचते हैं 18600 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित डोलमा-ला दर्रे पर जहाँ से हमें गौरी कुंड के दर्शन होते हैं और यह परिक्रमा का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. गौरी कुंड ही वो जगह है जहाँ पर भगवान शिव को पति के रूप में हासिल करने के लिए माता पार्वती ने तपस्या की थी. अब हम आज 22 किलोमीटर की परिक्रमा पूरी करने के बाद जुतुलपुक पहुँचते हैं. जुतुलपुक में आपको शेयरिंग गेस्ट हाउस या लॉज में रहने की सुविधा दी जाती है. आज का विश्राम जुतुलपुक में होगा और यही पर भोजन भी होना है.

दिन 9 – परिक्रमा के बाद टकलाकोट के लिए प्रस्थान
यात्रा का सातवां दिन शुरू हो चुका है और अभी लगभग 6 किलोमीटर की परिक्रमा बची हुई है. 6 किलोमीटर की परिक्रमा लगभग 2 से 3 घंटे में पूरी हो जाती है और हम सुबह 11 बजे के आसपास परिक्रमा पूरी कर लेते हैं और इसके बाद हम बस के द्वारा दारचेन के लिए प्रस्थान करते हैं. दारचेन पहुंचकर हम अपने उन साथियों को साथ लेते हैं जो हमारे साथ दारचेन के आगे नहीं गए थे और टकलाकोट के लिए प्रस्थान करते हुए आज टकलाकोट पहुँच जाते हैं. आज रात हम लोग टकलाकोट में विश्राम करते हैं.

दिन 10: टकलाकोट – हिलसा – नेपालगंज
आठवे दिन सुबह का नाश्ता करने के बाद हम टकलाकोट से हिल्सा के लिए बस से रवाना होते हैं. लगभग 45 मिनट के बाद हम लोग हिल्सा पहुँच जाते हैं. इसके बाद हिल्सा से सिमिकोट तक हेलीकाप्टर में जाते हैं. इसके बाद सिमिकोट से फ्लाइट के माध्यम से हम लोग नेपालगंज पहुँच जाते हैं. उसके बाद काठमांडू के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट लेते है।

दिन 11
यात्रा के आखिरी दिन हम काठमांडू एयरपोर्ट पहुंचते है। यंहा पहुंचकर आगे की यात्रा आप अपनी सुविधा के अनुसार करते हैं.
आपकी यात्रा खत्म होती है. हर हर महादेव।

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