Kailash Manasarovar Yatra By Helicopter from Lucknow map
kailash parikarma map

कैलाश मानसरोवर को भारत दर्शन के ह्रदय की उपमा दी गई है. जीवन में एक बार इस जगह पर जाना हर किसी का सपना होता है. यह जगह अपने आप में इतनी सुंदर और आकर्षक है की हर कोई जीवन में कम से कम एक बार यहाँ जाना ही चाहेगा। लेकिन जितनी सुंदर ये जगह है उतना ही मुश्किल यहाँ पर पहुंचना है. तो इस मुश्किल सफर को आसान बनाते हुए आज हम आपको बताते हैं की आप कैसे आसानी से कैलाश मानसरोवर पहुँच सकते हैं और इस पूरा तरीका क्या है.
आप कैलाश मानसरोवर तीन तरीकों से जा सकते हैं. पहला है हेलीकॉप्टर और दूसरा बस अब हम आपको बताएंगे की कैसे आपको कैलाश मानसरोवर लेकर जाते हैं. तो यहाँ हम बात करेंगे की हेलीकॉप्टर से कैसे कैलाश मानसरोवर की यात्रा की जाए.

पहला दिन- लखनऊ से नेपागंज- बस के द्वारा यात्रा
अगर आप हेलीकॉप्टर से कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले लखनऊ पहुंचना होगा। पहले दिन सुबह में हम लखनऊ पहुंचने के बाद बस के द्वारा नेपालगंज के लिए प्रस्थान करेंगे। नेपालगंज यहाँ से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी है। लगभग 4 से 5 घंटे की यात्रा करने के बाद हम नेपालगंज पहुंचेगे और आज हमारा रात्रि विश्राम इसी जगह पर होगा। भोजन के बाद हम रात को होटल में आराम करेंगे और अगले दिन की यात्रा के बारे में टीम लीडर के द्वारा ब्रीफ किया जायेगा

दूसरा दिन- नेपालगंज एयरपोर्ट से सिमिकोट ( से हिल्सा, हिल्सा से तकलाकोट ) ( 85 Km / 45 mins. drive ) – 3900 mts.
सुबह नाश्ते के बाद हम बस के द्वारा नेपालगंज एयरपोर्ट के लिए रवाना हो जाएंगे। इसके बाद वहां से फ्लाइट लेकर हम सिमिकोट के लिए उड़ान भरेंगे। सिमिकोट पहुँचने में हमें लगभग 45 से 50 मिनट का समय लगेगा। अब हम सिमिकोट पहुंचेगे और वहां से कुछ समय के बाद सिमिकोट से हेलीकॉप्टर के द्वारा हम लोग हिल्सा जाएंगे। हिलसा नेपाल-तिब्बत की सीमा है और इस जगह हेलीकॉप्टर से पहुँचने में हमें लगभग 20 मिनट का समय लगता है हिलसा में खाना खाने के बाद 20 मिनट पैदल चलना होगा। इसके बाद टूरिस्ट बस के द्वारा हम तकलाकोट / पुरंग पहुंचेंगे। इसमें लगभग 45 मिनट का समय लगता है. आज टकलाकोट में ही हमारा विश्राम होगा

तीसरा दिन – तकलाकोट पूरा दिन आप पूरी तरह बाजार में घूम सकते हैं।

चौथा दिन- टकलाकोट से मानसरोवर झील (4550 mts. (90 kms / 1 ½ hrs)

अब हम यात्रा के चौथे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद बस के द्वारा टकलाकोट से मानसरोवर झील की तरफ चलेंगे जिसकी दूरी लगभग 90 किलोमीटर है. यह यात्रा बस के द्वारा की जाएगी। समय लगभग (1.5 hrs ) के आसपास लगता है. टकलाकोट से निकलने के कुछ देर बाद ही हमें कैलाश के दर्शन होने लगते हैं. अब हम मानसरोवर झील पहुँच चुके हैं और हमें यहाँ पर परिक्रमा करनी है. लगभग 105 किलोमीटर की परिक्रमा हमें बस के द्वारा करनी है. मानसरोवर झील में स्नान करने के बाद अब हम वही पास में ही मौजूद एक गेस्ट हाउस में रुकेंगे और रात का भोजन आज इसी जगह पर करना है. हालाँकि अगर आप चाहे तो रात्रि के समय मानसरोवर झील का दर्शन करने फिर से जा सकते हैं क्योंकि इस वक्त यहाँ पर काफी खूबसूरत नजारा होता है. इसके लिए आपको कोई साधन लेने की जरूरत नहीं है बल्कि आप पैदल ही जा सकते हैं.

पांचवा दिन- 1st Day Kailash Parikrama – Trek to Dirapuk (4880 mts ) 12 kms trek (5-6 hrs)

यात्रा के पांचवें दिन हम मानसरोवर झील से बस के द्वारा यमद्वार पहुँचते हैं। जिस यात्री को परिकर्मा में नहीं जाना है वो इस जगह से वापिस आ जाते हैं और वापिस आकर दारचेन के होटल में चले जाते हैं। अब जिन्हें यात्रा के लिए (Dirapuk 4860 m) जाना है। यह 12 KM का ट्रेक Mt. Kailash के North face की तरफ है और इसे पूरा करने में आपको 5 से 6 घंटे लग जाते है। जो यात्री यंहा पैदल नहीं चल सकते, उनके लिए घोडा उपलब्ध है। एक घोड़े का चार्ज यहाँ पर लगभग 25 से 30 हजार होता है जो आपको पूरी कैलाश की परिक्रमा करवा देगा। लेकिन अगर आपने यहाँ घोडा नहीं लिया तो आपको कहीं भी घोडा नहीं मिलेगा। अब हम पहले दिन की परिक्रमा करके डेराफुक पहुँचते हैं और आज की यात्रा यही खत्म होती है। अब आपको आज डेराफुक के विश्राम गृह में रुकना है। यहाँ पर बेहद सामान्य स्तर का विश्राम गृह है।

छठा दिन और कैलाश परिक्रमा का दूसरा दिन – to Zuthulpuk (4670 mts.) with Trek to Dolma La Pass

यात्रा के छठे और परिक्रमा के दूसरे दिन की शुरुआत हम डेराफुक से करते हैं. इस दिन की यात्रा बड़ी खतरनाक होती है क्योंकि चढ़ाई होती है. इस दिन हम लगभग 22 किलोमीटर की यात्रा करते है और इसमें 6 किलोमीटर की यात्रा में बहुत मुश्किलें हैं क्योंकि इसमें चढ़ाई है इसलिए आपको काफी सावधानी रखने की जरूरत होती है. इस दिन हम पहुँचते हैं 18600 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित डोलमा-ला दर्रे पर जहाँ से हमें गौरी कुंड के दर्शन होते हैं और यह परिक्रमा का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. गौरी कुंड ही वो जगह है जहाँ पर भगवान शिव को पति के रूप में हासिल करने के लिए माता पार्वती ने तपस्या की थी. अब हम आज 22 किलोमीटर की परिक्रमा पूरी करने के बाद जुतुलपुक पहुँचते हैं. जुतुलपुक में आपको शेयरिंग गेस्ट हाउस या लॉज में रहने की सुविधा दी जाती है. आज का विश्राम जुतुलपुक में होगा और यही पर भोजन भी होना है.

सातवां दिन – परिक्रमा के बाद टकलाकोट के लिए प्रस्थान
यात्रा का सातवां दिन शुरू हो चुका है और अभी लगभग 6 किलोमीटर की परिक्रमा बची हुई है. 6 किलोमीटर की परिक्रमा लगभग 2 से 3 घंटे में पूरी हो जाती है और हम सुबह 11 बजे के आसपास परिक्रमा पूरी कर लेते हैं और इसके बाद हम बस के द्वारा दारचेन के लिए प्रस्थान करते हैं. दारचेन पहुंचकर हम अपने उन साथियों को साथ लेते हैं जो हमारे साथ दारचेन के आगे नहीं गए थे और टकलाकोट के लिए प्रस्थान करते हुए आज टकलाकोट पहुँच जाते हैं. आज रात हम लोग टकलाकोट में विश्राम करते हैं.

यात्रा का आठवा दिन टकलाकोट – हिलसा – नेपालगंज
आठवे दिन सुबह का नाश्ता करने के बाद हम टकलाकोट से हिल्सा के लिए बस से रवाना होते हैं. लगभग 45 मिनट के बाद हम लोग हिल्सा पहुँच जाते हैं. इसके बाद हिल्सा से सिमिकोट तक हेलीकाप्टर में जाते हैं. इसके बाद सिमिकोट से फ्लाइट के माध्यम से हम लोग नेपालगंज पहुँच जाते हैं. आज हम सिमिकोट या नेपालगंज में रुकते हैं और रात्रि का विश्राम और भोजन यही पर होता है.

यात्रा का नोवा दिन

यात्रा के नोवे और आखिरी दिन हम नेपालगंज से बस के द्वारा लखनऊ आ जाते हैं और इसमें हमें लगभग 4 से 5 घंटे का समय लगता है. अब आप लखनऊ पहुंचकर अपनी आगे की यात्रा अपनी सुविधा के अनुसार करते हैं.
आपकी यात्रा खत्म होती है. हर हर महादेव।

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