मुक्तिनाथ यात्रा पैकेज दिल्ली से

हमारे पड़ोसी देश नेपाल में स्थित मुक्तिनाथ मंदिर हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक गिना जाता है. भारत से हर साल हजारों की संख्या में लोग इस पवित्र, सुंदर और मनमोहक स्थान पर जाते हैं. मुक्तिनाथ हिन्दुओं के आराध्य देव भगवान विष्णु का मंदिर है. यहाँ पर भगवान विष्णु का एक रूप शालिग्राम है जो की पानी में पाया जाने वाला एक विशेष पत्थर है. प्रकृति की सुंदरता लिए ये जगह हिन्दुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. तो आइए आज हम मुक्तिनाथ के बारे में वो सारे बातें बताते हैं जो आपको जाननी चाहिए और हम आपको ये भी बताएंगे कि आप वहां कैसे पहुंच सकते हैं.

नेपाल के मस्तांग जिले की थोरांग ला पहाड़ियों के बीच मौजूद यह स्थल भगवान शालिग्राम के लिए मशहूर है. शालिग्राम जो एक पत्थर है और हमारे घरों में इसकी पूजा होती है. कहा जाता है कि यह स्थान 12300 फीट ऊँची पहाड़ियों पर मौजूद है. अगर आप इस जगह की यात्रा करना चाहते हैं तो इसके बारे में सारे बातें हम आपको बताते हैं.

मुक्तिनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय- यह पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है इसलिए सितंबर, अक्टूबर और नवंबर इसके लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है. दरअसल बरसात के समय यहाँ पर भूस्खलन होने लगता है. पहाड़ों का धंसना आम बात हो जाती है. इसके अलावा सर्दियों के मौसम में बर्फ़बारी होने लगती है इसलिए इस समय जाना उचित नहीं कहा जा सकता है. आप अगर यहाँ जाने का मन बना रहे हैं तो सितंबर से नवंबर के बीच यहाँ जाएं। 

कैसे पहुंचे- यहाँ तक पहुंचने का रास्ता थोड़ा कठिन है लेकिन हम आपको आसान तरीके से समझाएंगे कि दिल्ली से मुक्तिनाथ कैसे पहुंचा जा सकता है. यह यात्रा पांच दिन की होती है.

यात्रा का पहला दिन- तो दिल्ली से आपकी यात्रा शुरू होती है और आप पहुंचते हैं यूपी के ज़िले गोरखपुर में जो की भारत-नेपाल का बॉर्डर है. यहाँ से बस के द्वारा आप लगभग 7 घंटे में पोखरा में पहुंच जाएंगे। पोखरा में आप रात के समय रुक सकते हैं और यहाँ पर आप फेवा झील, बाराही मंदिर, विंध्यवासिनी मंदिर, देवीस फॉल और गुप्तेश्वर महादेव गुफा इत्यादि जगहें घूम सकते हैं. यहाँ पर झील के किनारे कई सारे होटल्स हैं जो आपकी यात्रा को और मज़ेदार बना देंगे।

यात्रा का दूसरा दिन- अब आपको पोखरा से जोमसोम के लिए जाना है. पोखरा बाग्लुङ बस पार्क से जोमसोम के सुबह 7 बजे बस निकलती है. इसके बाद यहाँ से बस मिलना थोड़ा मुश्किल होता है इसलिए आप सुबह के समय निकलें तो बेहतर होगा। पोखरा से निकलकर आप बेनी होते हुए लगभग 6 से 7 घंटे में जोमसोम पहुंच जाएंगे। अब आप आज रात यहीं रुकें। जोमसोम में रूककर आप थोड़ा रिलैक्स कर सकते हैं.

यात्रा का तीसरा दिन- अब आज आपको मुक्तिनाथ के लिए प्रस्थान करना है. इसके लिए आपको जोमसोम से रानीपौवा तक बस मिल जाएगी और फिर रानीपौवा बस पार्किंग से आप पैदल या घोड़े से मुक्तिनाथ मंदिर के लिए जा सकते हैं जो की ज्यादा दूर नहीं है. मुक्तिनाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद आपको उसी रास्ते से जोमसोम आना होगा। आप उसी दिन जोमसोम पहुंचने के बाद वहां पर रात के समय रुक जाएं और अगले दिन की योजना बना लें.

यात्रा का चौथा दिन- अब आज के दिन आप जोमसोन से पोखरा के प्रस्थान करें और आपको इसके लिए बस मिल जाएगी।

पांचवा दिन- अब आप पोखरा पहुँच चुके हैं और आपको यहाँ से सोनौली या रक्सौल बॉर्डर के लिए बस मिल जाएगी। इसके आप वहां से आप अपने शहर के लिए प्रस्थान करें क्योंकि आप भारत पहुंच चुके हैं.

हवाई जहाँ से कैसे पहुंचे- अगर आप दिल्ली से प्लेन से मुक्तिधाम की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको दिल्ली से नेपाल के काठमांडू के लिए रवाना होना होगा। अब काठमांडू से जोमसोम के लिए सीधे प्लेन नहीं है और इसके लिए पहले आपको 25 मिनट दूरी की एक और हवाई यात्रा करनी होगी जो कि आपको पोखरा लेकर जाएगी इसके बाद पोखरा से दूसरी फ्लाइट में आप जोमसोम पहुँच सकते हैं और उसमें भी लगभग इतना ही समय लगता है. फिर जोमसोम से आप सड़क के रास्ते से मुक्तिनाथ जा सकते हैं.

हेलीकॉप्टर का भी ऑप्शन है- आपके पास हेलीकॉप्टर का भी ऑप्शन है जो आपकी यात्रा को थोड़ा सरल बना देगा। आप दिल्ली से काठमांडू के लिए फ्लाइट लें और इसके बाद आपको काठमांडू से सीधे मुक्तिनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा मिल जाएगी। अगर आप दिल्ली से पोखरा भी पहुंच जाते हैं तो आपको पोखरा से मुक्तिनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सुविधा मिल जाएगी।

वैसे आप इन सभी झंझटों से दूर अगर आसानी से दिल्ली से मुक्तिनाथ पहुंचना चाहते हैं तो आप एक टूर पैकेज ले लें क्योंकि इससे आपको बस, होटल और खाने-पीने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी और आप पूरी तरह से सफर का मजा ले सकेंगे। टूर पैकेज लेने से आपके पैसे भी बचेंगे और आप कई सारी झंझटों से मुक्त रहेंगे और पहुंच जाएंगे मुक्तिनाथ। दिल्ली से मुक्तिनाथ जाना और वहां का टूर पैकेज लेकिन कोई महँगी डील नहीं है. कई सारे थ्री स्टार और नॉर्मल होटल्स हैं जो कम बजट में आपको अच्छी सुविधा देते हैं.

 हम आपको ऐसी यात्रा करवाते हैं-

पहला दिन- आप गोरखपुर रेलवे स्टेशन पहुँचते हैं और गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर हमारा ड्राइवर आपको मिलेगा जो कि आपको नेपाल के पोखरा तक लेकर जाएगा। पोखरा यहाँ से लगभग 250 किलोमीटर दूर है और आठ घंटे का समय लगता है. नेपाल के सबसे अच्छे टूरिस्ट डेस्टिनेशन की अगर बात की जाए तो पोखरा का नाम सबसे पहले आता है. अब आप यहाँ घूमिए हिमालय की वादियों का मजा लीजिए। यकीन मानिए ये जगह बहुत ही सुंदर है. हर साल यहाँ हजारों की संख्या में लोग आते हैं. अब पूरा दिन घूमने के बाद आज रात आपको पोखरा में ही रुकना है.

दूसरा दिन- आइए जोमसोम के लिए उड़ान भरते हैं-:

हमारा रिप्रेसंटेटिव आपको मिलता है और वो आपको नजदीकी एयरपोर्ट लेकर जाता है जहाँ से आपको जोमसोम के लिए फ्लाइट मिलती है. पोखरा से जोमसोम लगभग तीस मिनट का समय फ्लाइट में लगता है. हमारा एक व्यक्ति आपको वहां मिलेगा और हम आपको ले जाते हैं होटल में. यहाँ से महज 20 मिनट की वाकिंग डिस्टेंस में जीप स्टेशन है जहाँ से हमें मुक्तिनाथ के लिए रवाना होना है. मुक्तिनाथ यहाँ से लगभग 19 किलोमीटर दूर है और इसमें आपको जीप के द्वारा लगभग 1:30 घंटे का समय लगता है. वैसे आप चाहे तो घोड़े से भी जा सकते हैं लेकिन इसका खर्चा आपको खुद उठाना होगा। अब आप मुक्तिनाथ पहुँच चुके हैं. वो जगह जहाँ बहुत कम लोग आ पाते हैं आप वहां खड़े हैं. आप यहाँ पूजा कीजिए, स्नान करिए। इसके बाद हम उसी रास्ते से जोमसोम लौट आते हैं. अब एक रात जोमसोम में आपको हम स्टे करवाते हैं जहाँ आप इस खूबसूरत जगह का दीदार कर सकते हैं.

तीसरा दिन- पोखरा पहुंचकर वहां घूमना- सुबह नाश्ते के बाद हमारा ड्राइवर आपको नजदीकी एयरपोर्ट छोड़ देता है जहाँ से आपको पोखरा के लिए फ्लाइट में बिठा दिया जाएगा। आप पोखरा में गुप्तेश्वर महादेव आदि कई जगहों पर घूमिए और फिर वहां की बाजार भी घूम सकते है. आज आपको पोखरा में ही रुकना होगा।

चौथा दिन- अब वापिस ड्राइव करते हुए हम आपको काठमांडू लेकर आते हैं. 210 किलोमीटर का ये सफर लगभग 5 से 6 घंटे में पूरा हो जाता है. आप यहाँ मनकामना मंदिर जा सकते हैं. इसके बाद आप आज काठमांडू में ही रुकने वाले हैं.

पांचवा दिन- यात्रा के पांचवे दिन आप काठमांडू घूमिए। ये बहुत अच्छी जगह है. आप पशुपति नाथ मंदिर समेत कई जगहें देख सकते हैं. आज वापिस आपको घूमने के बाद काठमांडू में ही रुकना है.

छठवां दिन- वापिस आपको काठमांडू से गोरखपुर लाया जाता है.

मुक्तिनाथ का पौराणिक महत्व- मुक्तिनाथ में शालिग्राम भगवान हैं जो कि भगवान विष्णु का एक रूप हैं. पुरानी कथाओं के अनुसार जालंधर नामक दैत्य को को पराजित करने में भगवान शंकर सफल नहीं हो रहे थे. ऐसे में उन्होंने भगवान विष्णु का सहारा लिया. कहा गया है कि जब तक जालंधर की पत्नी वृंदा का सतीत्व सुरक्षित है तो जालंधर को कोई नहीं हरा सकता हैं. ऐसे में भगवान विष्णु वृंदा के पास जालंधर का रूप धारण करके पहुंचते हैं. वृंदा को देर से इसकी भनक होती है और वो भगवान विष्णु को कीड़ा बन जाने का श्राप देती है. भगवान एक जीवाश्म का रूप धारण कर लेते हैं जिसे शालिग्राम कहा जाता है और ये पानी में पाया जाने वाला एक पत्थर है.

तो आप मुक्तिनाथ की यात्रा लीजिए और फिर अपने अनुभव भी हमारे साथ शेयर कीजिए। आपकी यात्रा मंगलमय हो.

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